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Full text of "छत पर मक्खी - महान गणितज्ञ रेने डेकार्ट की कहानी - हिंदी"

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छत पर मक्खी 


महान गणितज्ञ रेने डेकार्ट 
की कहानी 






छत पर मक्खी 
महान गणितज्ञ 


रेने डेकार्ट की कहानी 





डॉ. जूली ग्लास 


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यह एक ऐसे आदमी की कहानी है जो बहुत समय 
पहले फ्रांस में रहता था. 


क्योंकि वो फ्रांस में रहता था इसलिए उसका एक 
फ्रांसीसी नाम था. उसका नाम था. आपको 
यह नाम मजाकिया और अटपटा लग सकता है, लेकिन 
फ्रांस में वो बिल्कुल सामान्य था. 


रेने एक दाशैनिक था. दाशनिक वो होता है जो दुनिया उनका घर बेहद गन्दा था. 
के बारे में सोचता है - कि चीजें जैसी हैं, वो वैसी क्‍यों हैं. 

रेने एक महान दार्शनिक था. उसके कई विचार आज 
भी प्रसिद्ध हैं. 









(2 (9 (म्रपप में सोचता हू, 
इसलिए मैं हूँ! 





शुरू में वो एक छोटी सी समस्या थी. 
लेकिन धीरे-धीरे वो बड़ी और बड़ी होती गई! 





लेकिन भले ही रेने एक महान दार्शनिक रहे हों, लेकिन उनके पर मज़ेदार बात यह थी, कि रेने को इस बात का कोई 
साथ एक बड़ी समस्या थी. एहसास नहीं था कि उनसे साथ कोई समस्या भी थी... 


.. शुरू में वो अपनी चीज़ें खोने लगे. सितारों वाली किताब. 











अब रेने को इतना ज़रूर पता चला कि उनके साथ कोई समस्या ज़रूर थी . 


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उन्हें दरवाजे के पीछे लटके अपने कोट और टोपी 
को खोजने में कुछ समय ज़रूर लगा. 





"इस समस्या का अंत होना चाहिए!" रेने ने सोचा. 
फिर उन्होंने टहलने का फैसला किया और उस समस्या का हल 
खोजने की कोशिश की. 








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उसके बाद वो सोचने के लिए सीन नदी के किनारे 
अपने मनपसंद स्थान पर गए. 


फिर रेने अपनी प्रिय बेकरी में एक ताज़ा पाव-रोटी 
खरीदने गए. 


कुछ समय बाद रात हो गड पर रैने अभी भी अपने 
सोच में मगन थे. वो अपने सोच में इतना डूबे थे कि 
उन्होंने यह भी नहीं देखा कि वो कहां जा रहे थे. 





चलते-चलते उन्होंने पाव-रोटी का एक कौर खाया. 
फिर उन्होंने पानी को घूरा ओर सोचा कि वो अपनी 
चीजों का बेहतर तरीके से कैसे रखें जिससे ज़रुरत 
पड़ने पर वे मिल्र जाएं. 














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रेने डेकार्ट, सीधे सीन नदी में जा गिरे! 


छपाक! छपाक'! 





रेने पैदल-पैदल घर पहुंचे. घर पहुंचने के बाद उन्हें सर्दी हो 
गई और वो छींकने लगे. 





जब उन्हें पानी से बाहर निकाला गया, तो वो एकदम ठंडे 
और गीले थे, और उनकी पाव-रोटी भी गीली और नरम थी. 


फिर वो बिस्तर में लेटकर गहरी नींद में सो गए. 







अगली सुबह भी रेने का बदन गिर रहा था. 
यहाँ तक की उन्हें उनका रूमाल भी नहीं मिला ... 


उन्हें आग जलाने के लिए लकड़ियां भी नहीं मिलीं. 


उन्हें अपनी पाव-रोटी भी नहीं मिली जो अब तक सूख गई होती. 


रेने दुखी होकर बिस्तर पर वापस लेट गए. 
वो लेटे-लेटे अपनी छत (सीलिग) को घूरने लगे. 
उनके गंदे कमरे में छत ही एकमात्र साफ जगह 
थी. 


रेने की बड़ी इच्छा थी कि गंदे फर्श की बजाए 
वो साफ छत पर रहे. 











तभी, उन्होंने छत पर एक मक्खी को देखा. मक्खी 
उड़कर एक कोने में बैठ गई. 


फिर वो उड़कर दूसरे कोने में जा बैठी. फिर यह रेने के 
पैर की उंगलियों से ऊपर बैठी. 


अंत में मक्खी ठीक रेने के सिर पर आकर बैठी. 


रेने सोचने लगे - क्या मक्खी एक ही जगह पर कभी दुबारा 
बैठती है? तुम्हें यह सवाल कुछ अजीब और अटपटा लग 
सकता है, लेकिन रेने एक दाशैनिक थे, और उनके लिए इस 
प्रकार के प्रश्नों से जूझना सामान्य था. 


"मुझे यह रिकॉर्ड करना होगा कि मक्खी ज़मीन पर कहाँ 
बैठती है, तभी मुझे पता चलेगा कि वो एक ही स्थान पर 
कितनी बार बैठती है," रेने ने सोचा. "लेकिन मैं वो कैसे पता 
करू?" 








रेने ने सोचा और गहराई से सोचा. अचानक, उसके दिमाग में 
एक शानदार विचार आया. वो आईडिया इतना आलीशान था कि 
रेने अपने बिस्तर से कूदे और वो खड़े होकर नाचने लगे! 

मक्खी छत पर कहाँ उतरी? वो अब उसकी स्थिति को रिकॉर्ड 
कर सकते थे। 


रेने ने अलाव में से एक लकड़ी का कोयला उठाया. फिर वो एक 
कुर्सी पर चढ़े और वो छत पर लाइनें खींचने लगे. (आपके माता- 
पिता को यह बात बिल्कुल पसंद नहीं आएगी!) 


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आऋनमीमाकक मिल + | -पाऋ...मकिकम्नन्िकमक ० * +रक:. कान. 


रेने ने पहले उत्तर की दीवार से दक्षिण की 
दीवार तक लाइनें खींचीं. 


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उसके बाद उन्होंने एक ओर से दूसरी तरफ लाइलनें खींचीं. 


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फिर उन्होंने दोनों दीवारों के बीच की 
लाइनों पर नंबर लिखे. इसके बाद, वो 
बिस्तर पर वापस आकर लेट गए. 


रेने ने छत पर मक्खी को बैठे देखा. जब मक्खी उतरी, 
तब उन्होंने उस स्थान तक की लाइनें गिनीं. उन्होंने लाइनों की 
संख्या नीचे लिखी: 2. 

फिर उन्होंने उस स्थान तक ऊपर से नीचे की लाइनें गिनीं. 
उन्होंने उनकी संख्या नीचे लिखी: 5. 

इन दोनों संख्याओं 2 और 5 ने, मक्खी कहां थी, उसकी 
स्थिति रेने को बताई! 

संख्या 2 और 5 को निर्देशांक कहते हैं. पहला निर्देशांक 2, 
बाईं ओर से मक्खी की दूरी मापता है. दूसरा निर्देशांक 5, नीचे 
की दीवार से मक्खी कितनी ऊपर है उसे मापता है. 


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रेने ने पूरी सुबह मक्खी को देखने में बिताई .. और साथ-साथ 
छीकने में भी. 

यदि आप उनसे मिलने गए होते, तो वो आपसे कहते : "मक्खी 
बाएं से छह लाइनें आगे है, और नीचे से तीन लाइनें ऊपर है (6, 3)." 


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& 2:०७: हैं. «७ “७५ मक्‍खी के निर्देशांकों को बार-बार रिकॉर्ड करने से रेने के 
४ %/ ७ किर्यः मे अप | दिमाग में एक और शानदार विचार आया. 
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या "मक्खी बाएं से 6 शायद में अपने सामान को भी उसी तरह ट्रैक कर सक्‌ जैसे 
आठ लाइनें आगे है, ओर है मैंने मक्खी पर नज़र रखी है! और वो काफी आसान होगा क्योंकि 
नीचे से तीन लाइने ऊपर हु मक्खी जैसे टोपी उठ नहीं सकती है! 
है (8, 4)." +८ 


रेने अपने पड़ोसी से पेंट मांगने गया. रेने की किस्मत 
अच्छी थी। उसका पड़ोसी एक चित्रकार था! 






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रेने ठुबारा बिस्तर से बाहर कूदा. फिर उसने सब 
सामान रसोई में धकेल दिया. 


अब उसके कमरे का फश भी छत जितना ही साफ 
था. लेकिन वो लकड़ी के कोयले से फ्श पर चौकोर ग्रिड 
नहीं खींच सकते थे - क्योंकि वो जल्द ही मिट जाती. 


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रेने और चित्रकार ने फर्श पर एक चौखानों वाली ग्रिड पेन्ट की. 


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जब तक वे वापस लौटे तब तक पेन्ट पूरी तरह सूख 
चुका था. चित्रकार ने रैने को उसकी चीज़ों को ग्रिड पर 
रखने में मदद की. 


फिर वे दोनों पाव-रोटी खरीदने के लिए बेकरी गए. 





उन्होंने रैने की टोपी, सितारों की किताब, पंखों वाले पेन, 
पुराने जूते, उसकी हस्त लिखित पत्रिका जब वो दस साल का था, 
और कड अन्य चीजें खोजीं जो रेने को याद तक नहीं थीं. 

एक चार्ट पर, रेने ने सावधानीपूर्वक उन सभी चीज़ों की 
स्थिति को रिकॉर्ड किया. 


बहुत सुन्दर! 


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उसके बाद, रेने के घर में फिर कभी गंदगी नहीं 
दिखाई दी. 


शायद बहुत कम! 


रेने की प्रणाली जल्द ही पूरी दुनिया में फैली. उसे 
कार्टेशियन प्रणाली के नाम से जाना जाता है. 
("कार्टेशियन" रेने के अंतिम नाम "डेकार्ट" से आता है) 


आज भी लोग कार्टेशियन कोऑर्डिनेट (निर्देशांकों) 
प्रणाली का उपयोग कई अलग-अलग तरीकों से करते हैं. 








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लेखक का नोट 


शायद रेने डेकार्ट का घर वास्तव में गन्दा नहीं हो. 
शायद वो सच में सीन नदी के न गिरा हो या उसने अपनी 
छत पर लाइनें भी नहीं खींची हों. 

लेकिन एक तथ्य बिल्कुल सच है कि रेने डेकार्ट की 
कार्टशियन कोऑडिनेट प्रणाली पूरी दुनिया में बहुत 
लोकप्रिय हुई. 


और वो एक अच्छे दाशनिक भी थे.